*"तुम से तुम तक"** एक ऐसी कहानी है जित्थे प्यार, समझ, त्याग, ते सामाजिक दबाव सब इक साथ चलो। कहानी शुरू हुई है आर्यवर्धन मल्होत्रा टन - भावनात्मक रूप से संरक्षित व्यवसायी पर एक सफल। जिंदगी ने उसनु बहुत कुछ दित्ता सी, पर दिल विच इक खाली-पन रह गया सी। ओथे ही एंट्री हुंदी है अनु अवस्थी दी - एक युवा, मध्यम वर्ग की लड़की जिसकी सादगी ते सच्ची हर किसे नू आकर्षित कर सकती है।
इन्ना दी पहली मुलाकात एक कॉलेज इवेंट विच हुंदी है, जित्थे आर्य मुख्य अतिथि ते अनु मंच संयोजक हुंदी है। अनु दी मेहनत, आत्मविश्वास ते विनम्र स्वभाव आर्य दे दिल ते गहरा असर छाड़ देंदी है। कुछ ही दिन बाद आर्य उसनु अपनी कंपनी विच जॉब ऑफर करदा है - पर बस जॉब नहीं, एह उनहन दे रिश्ते दी शुरू होंदी है।
ऑफिस विच डोनो दी बॉन्डिंग धीरे-धीरे गहरी हुंदी है। अनु दी मासूमियत आर्य नू शांत कर देंदी, ते आर्य दी परिपक्वता अनु नू सुरक्षित महसूस करोंदी। दोनों इक-दूजे नू प्यार तां करदे ने, पर इजहार करन विच सोचे बिना रह नहीं सकते- फर्क सिर्फ उमर दा नहीं, बाल्की सोशल स्टेटस दा वी है।
नाटक ओहदो शुरू हुंदा है जद आर्य दी फैमिली अनु नू पसंद नहीं करदी। उन्ना नू लगदा के एक सिंपल मिडिल-क्लास लड़की उन्ह दे "बिजनेस-क्लास" घर विच फिट नहीं हो सकती। दूसरी तरफ अनु दी परिवार वी असुरक्षित हो जांदी है, क्योंकि उन्हें हिसाब दे नाल आर्यवर्धन जैसा आदमी अनु जैसी लड़की लायक नहीं।
पर एह डोनो हर टेंशन दे विवाद इक-दूजे दे साथ खड़े रहंदे ने। रात दे लंबे कॉल, ऑफिस वाले छोटे पल, ते इक-दूजे दी साइलेंट केयर - सब कुछ कहानी नू और गहरा बना दिंदा है।
शो दा ट्विस्ट ओहदो औंदा है जद आर्या दा दर्दनाक अतीत सामने औंदा है। एह पास्ट अनु नू थोडा हिलौंदा, पर नाज़दिक भी कर देंदा है - क्योंकि उसनु समझ आ जांदा है के आर्य नू सब टन ज़्यादा लव नहीं, अंडरस्टैंडिंग दी ज़रूरी है।
आख़िर विच कहानी दा संदेश सरल पर शक्तिशाली है -
**प्यार ओथे खुबसूरत हुंदा है जित्थे डोनो इक-दूजे दी इज्जत, सच्चाई ते वफादारी नाल चलदें...चाहे दुनिया कुछ वी कहे।
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