हम नाजुक दिल के लोग हैं
हमारा दिल मत दुखाओ
झूठे वादे न करें
झूठी कसमें न खायें।
पढ़ो आलम फ़ाज़िल पढ़ो
खुद को कभी नहीं पढ़ा
मंदिर मस्जिदों में जा रहे हैं
तुमने कभी अपने भीतर प्रवेश नहीं किया है।
हृदय रोग होने पर क्या करें?
क्या करें जब आँखें किसी की याद में रोयें
हम सदैव आपसे मिलने की आशा रखते हैं
दोस्त भूल जाए तो हम क्या करें, जिस दोस्त के हजार दोस्त हों
उस दोस्त को दोस्त मत समझो
जो हद से ज्यादा प्यार करता हो
उस प्यार को प्यार मत समझना.
अलिफ सीना आग में
सीना तंदूर की तरह तपा हुआ था
कुछ लोगों को पीटा गया
कोई सज्जन नजरों से दूर हो गये
उस हार को हार मत समझना
बुल्ले शाह, दोस्त कितना भी गरीब क्यों न हो
उनकी संगति को व्यर्थ न समझें।
जग और रिश्तों का कोई मोल नहीं
वह टूट रहा था
प्यार दिलों से कभी ख़त्म नहीं होता
सांस रुक जाती है.
Comments
Post a Comment