जैसा बोओगे वैसा काटोगे। full story in hindi
बहुत समय पहले की बात है, एक गांव में एक बड़ा सब्जी बाजार था। वहां हर रोज़ लोग अपने उत्पादों को बेचने के लिए आते थे। इस बाजार में एक दुकानदार रहता था जिसका नाम रामचंद था।
रामचंद बड़ा ही बुद्धिमान और बाजार में मशहूर था। उनकी दुकान में हर तरह की सब्जियां उपलब्ध थीं और उनकी सब्जियां हमेशा ताजगी और गुणवत्ता की वजह से लोगों को पसंद आती थीं।
एक दिन, एक आदमी उनकी दुकान पर आया और कुछ टमाटर खरीदने के लिए पूछा। रामचंद ने ध्यान से उसके टमाटर को देखा और उन्हें बहुत ही खराब और पके हुए टमाटर लगे। उन्होंने कहा, "मेरे पास अभी ताजगी के साथ ही बेहतर टमाटर आएंगे। कृपया थोड़ी देर इंतजार करें।"
धैर्य से इंतजार करते हुए आदमी ने अपने आस-पास की दुकानों पर नजर डाली। उस बीच में एक और दुकानदार आया और उसने खुश नजरों से देखते हुए अपने टमाटर को काट दिया।
जब रामचंद ने इसे देखा, तो वह बहुत ही चकित हो गए। यह देखकर आदमी ने पूछा, "आपने उनके टमाटर को इतनी तारीफ क्यों की? उनके टमाटर तो बिल्कुल बुरे लग रहे थे।"
रामचंद ने मुस्कराते हुए कहा, "देखिए, जैसा बोओगे वैसा काटोगे। मैं अपनी दुकान में ताजगी और गुणवत्ता को महत्व देता हूँ और मेरे ग्राहक भी वही चाहते हैं। इसलिए मैंने आपके लिए बेहतर टमाटर लेकर आने के लिए कहा।"
यह सुनकर आदमी चिंतित हो गया और कहने लगा, "मुझे माफ करें, मैंने गलती से बुरे टमाटर काट लिए हैं। मैं आपके उच्च मानकों का पालन नहीं कर पाया।"
रामचंद ने उसे समझाया, "यह बिल्कुल ठीक है। हमें हमेशा वही मिलता है जो हम चाहते हैं और जो हम बोते हैं। अगर हम अच्छे काम करेंगे और उच्च मानकों का पालन करेंगे, तो हमें उत्कृष्टता मिलेगी।"
इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि हमें अपने कामों में ईमानदारी और मेहनत करनी चाहिए। जैसा हम बोते हैं, वैसा ही
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